Patra Lekhan In Sanskrit : A Step-By-Step Guide And Tips

Patra Lekhan In Sanskrit A Step-By-Step Guide And Tips

आज हम patra lekhan in sanskrit पत्र लेखन का अभ्यास करने वाले हैं और पत्र लेखन का दस करने से पहले मैं आपको कुछ बातें बताना चाहता हूँ जैसे कि आप हिंदी इंग्लिश में पत्र लिखते हो, उस तरह से संस्कृत में बिल्कुल भी नहीं । संस्कृत में फॅस की तरह होता है एक्टर्स आलू की पूर्ति करो बस इतना ही होता है वहाँ मतलब एक्जाम में आपको पत्र दिया जाता है और वहाँ कुछ रिक्त स्थान होते हैं और आपको उसे पूरा करना होता है और पूरा करने के लिए भी आपको वहाँ ऑप्शन दिए जाते हैं ।

बदलाव को ऑप्शन देखकर उसका सही यार तो जानकार समझकर आप को रिक्त स्थान सही तरह से पूरी करना है तो उसके लिए आप क्या करना जरूरी है? क्योंकि क्या होता है? इतना इजी हो कर भी बहुत सारी गलतियाँ होती है । बच्चे ज्यादा बारह महीने पाते, उसका कारण ये कि उन्हें उसका मीनिंग समझ में नहीं आया ।

A Step By Step Guide And Tips Patra Lekhan In Sanskrit Very Easyway

तो सबसे पहले क्या करना है कि आपको सबसे पहले प्रश्न का मीनिंग समझ देना है । प्रश्न का मिनी समझने के बाद आपको वो जो ऑप्शन दिए जाते उनका मेरी संबंध है और फिर बाद में आपको पत्र भरने की कोशिश करना है और एक दिन में नहीं होता है ।आप जितने ज्यादा पत्रों का मीनिंग के साथ प्रैक्टिस करोगे तो समझ के प्रैक्टिस करोगे उतना ही आपका पत्र क्लेर होते जाएगा और आपको एग्जाम में दिक्कत नहीं आएगी । तो चलिए

Patra Lekhan In Sanskrit-अवकाशार्थम्‌ आवेदनपत्रमु न -

अवकाशार्थम्‌ आवेदनपत्रमु न – Patra Lekhan In Sanskrit

माननीय: प्रधानाचार्य:
केशवपुर्मू, दिल्‍ली न
विषय:- अवकाशार्थम्‌ आवेदनपत्रमु न
 
सविनयं निवेदयामि यत्‌ अहम्‌ अस्य विद्यालयस्य2 दशमकक्षाया: छात्र: अस्मि। अहं3 तीव्रज्वरेण ग्रस्त: अस्मि। वैद्येन4 परामर्श: दत्त: यत्‌ पज्चदिनपर्यन्त॑ 5 गृहे एव स्थातव्यम्‌। अत: अहं विद्यालयं आगन्तुं 6 असमर्थ: अस्मि। मद्यां  पञ्चदिनानां 7 अवकाशं प्रदाय 8 माम्‌ अनुगृह्नन्तु। अध्ययनस्य या 9 हानि: भविष्यति तां द्रीकर्तु यतिष्ये।
सधन्यवादा:
भवदीय: शिष्य
10……….
दिनाइक: ——–
दशमकक्षाय , अहम्‌ , तीव्रज्वरेण , परामर् , गृहे , असमर् , माम्‌ , अवकाशं , हानि

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